नासा मंगल और चंद्रमा जैसे दूसरे ग्रहों पर 'फ्यूचर होम' बनाने की तकनीक पर काम कर रहा है। इसके वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर टेस्ट कामयाब रहे, तो फफूंद से घर बनाया जा सकता है। इसके लिए वैज्ञानिक दूसरे ग्रहों की मिट्टी पर मायसेलिया कवक विकसित करने की संभावना तलाश रहे हैं और कुछ हद कामयाबी भी मिली है।
दावा है कि फन्जाई (कवक) और जमीन के नीचे पाए जाने वाले थ्रेड्स जो फफूंद (मायसेलिया भी कहते हैं) को बनाते हैं, की मदद से दूसरे ग्रहों पर घर बनाने की तकनीक को विकसित किया जा सकता है। इस अध्ययन को माइको-आर्किटेक्चर प्रोजेक्ट के तहत अंजाम दिया जा रहा है, जिसे नासा इनोवेटिव एडवांस्ड कॉन्सेप्ट (एनआईएसी) फंडिंग कर रही है।
इसे सही परिस्थिति में उगाया जा सकता है
- नासा का कहना है कि ये छोटे थ्रेड्स (एक कवक का मायसेलिया हिस्सा) अत्यधिक परिशुद्धता के साथ जटिल संरचनाओं का निर्माण करते हैं, जो मशरूम जैसी बड़ी संरचनाओं के रूप में उभरते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि कवक की चार खासियत हैं। पहली- इनकी कांक्रीट से ज्यादा बेंड स्ट्रेंथ होती है। दूसरी- इन्हें उगाया और इनकी मरम्मत की जा सकती है। तीसरी- अच्छे इन्सुलेटर होते हैं। चौथी- अग्निरोधी भी होते हैं।
- वैज्ञानिकों का कहना है कि मंगल या चंद्रमा पर पहुंचने के बाद फफूंद को सही परिस्थिति यानी पानी और प्रकाश संश्लेषक बैक्टीरिया में विकसित किया जा सकता है। जब फफूंद एक तय आकार में बढ़ जाएगी, उसे गर्माहट देकर मार दिया जाएगा। वैज्ञानिक ऐसे तरीकों पर भी काम कर रहे हैं, जिसमें फंगल मायसेलिया की परत अंतरिक्ष यात्रियों को विकिरण से बचाने के साथ बिल्डिंग के अंदर ऑक्सीजन भी प्रदान करे।
- इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे वैज्ञानिक लिन रॉथ्सचाइल्ड ने बताया कि दूसरे ग्रहों के लिए आवास डिजाइन अभी शुरुआती दौर में हैं। इन ग्रहों पर अपने यहां से बिल्डिंग मटैरियल ले जाने में काफी ऊर्जा लगेगी और लागत भी ज्यादा आएगी। इसलिए अगर यह प्रोजेक्ट कामयाब रहा तो दूसरे ग्रहों पर घर बनाने का सपना साकार हो पाएगा।